भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कहाँ हुआ था?
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश मथुरामें कंस के कारागार में हुआ था। जब माता देवकी को श्री कृष्ण पैदा हुए तब उन्हें कंस से बचाकर वासुदेव जी एक टोकरी में रखें पूरे समुद्र को पार कर वृंदावन नंद बाबा के यहां छोड़ आए थे क्योंकि कंस का कंस को भविष्यवाणी हुई थी कि जो भी बच्चा अब तुम्हारी बहन को होने वाला है वही तुम्हारे मौत का कारण बनेगा इस वजह से कंस को पता लगने से पहले वासुदेव जी कृष्ण भगवान को नंद बाबा के यहां छोड़ आए थे जिस जगह कृष्णा का जन्म हुआ था यह स्थान आज भी “श्रीकृष्ण जन्मभूमि” के नाम से प्रसिद्ध है।

उनके माता-पिता कौन थे?
कृष्ण भगवान के माता-पिता देव की और पिता वासुदेव थे जिन्होंने उनका जन्म दिया था श्री कृष्ण का जन्म कंस के महल के कारागार में हुआ था। कृष्ण की मां कंस की बहन लगी पर एक भविष्यवाणी के कारण कंस को यह पता लगा कि उनके आने वाला भांजा यानी माता देवकी का पुत्र उनका वध करेगा इस डर के कारण वह माता देवकी के अगले बच्चों को जानने से पहले मार देना चाहता था पर जैसे ही उनका जन्म हुआ वैसे ही उनके पिता यानी वासुदेव जी उनको टोकरी में रखकर समुद्र पार करके ले गए बरसात होने के कारण खुद शेषनाग ने उनकी रक्षा की और मथुरा से लेकर यमुना नदी से होकर वृंदावन नंद बाबा के यहां पहुंचा आये थे |

भगवान श्रीकृष्ण ने किन-किन का वध किया?
भगवान श्री कृष्णा कई राक्षसों और अधर्मियों का वध किया ,जिसमें से सबसे पहले कंस जो कि उनके मामा भी थे एक अत्याचारी राजा था ,जिनका का वध श्री कृष्णा ने किया था उसके अलावा श्री कृष्णा बचपन में ही ,बकासुर पूतना सक्तासुर , नाम के राक्षसों का वध किया था इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण ने , जरासंध ,नरकासुर और अन्य राक्षसों का वध किया था | इसमें से सबसे प्रमुख वधो में गिने जाने वाला शिशुपाल वध भी था | क्योंकि शिशुपाल श्री कृष्ण की बुआ का लड़का था और उनके उनका जन्म तीन आँखों और चार हाथों के साथ हुआ था और जब उनका जन्म हुआ था तो भविष्यवाणी हुई थी कि जिस इंसान के हाथों में आकर इसकी अतिरिक्त आंखें और हाथ गायब जाएंगे वही इंसान इसका आगे चलकर वध करेगा पर जब कृष्ण भगवान अपनी बुआ से मिलने आए और जैसे ही उन्होंने शिशुपाल को अपनी गोदी में लिया उसके बाद उनके अतिरिक्त आंखें और हाथ गायब हो गई जिसके बाद उनकी बुआ ने उनसे एक वचन मांगा कि तुम इसका बाल किसी भी कारण से नहीं करोगे पर जैसा की भविष्यवाणी में लिखा था श्री कृष्ण का कि मैं भविष्यवाणी को नहीं बदल सकता परंतु मैं इसको इसकी 100 गलतियां तक माफ करूंगा उसकी 101 गलती पर इसका आवाज करदूंगा
भगवान श्रीकृष्ण की पत्नियाँ कौन थीं?
जैसा की हम सभी जानते हैं की भगवान श्री कृष्णा को राधा से अधिक प्रेम था , पर वो उनकी पत्नी नहीं थी तो उनकी पत्नी कौन थी इसके जबाब हम जानते हैं नीचे दी गयी जानकारी मे उन्होंने 16,100 अन्य स्त्रियों से भी विवाह किया जिन्हें नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त किया था। उनमे से भगवान कृष्ण की कुल 8 प्रमुख रानियाँ रुक्मिणी (मुख्य रानी) , जाम्बवती , सत्यभामा , कालिंदी ,मित्रविंदा, नग्नजिती , भद्रा ,लक्ष्मणा


भगवान श्रीकृष्ण के प्रमुख अस्त्र
सुदर्शन चक्र – उनका मुख्य दिव्य चक्र, जिससे उन्होंने शिशुपाल, पौंड्रक आदि का वध किया। भगवान श्री कृष्णा को सुदर्शन चक्र परुशराम जी ने दिया था | इसके साथ साथ भगवान श्री कृष्ण हाथ में कौमोदकी गदा , शारंग धनुष – धनुष जिसके माध्यम से युद्ध में विजय प्राप्त करते थे और पंचजन्य शंख – उनका दिव्य शंख था जो समुद्र मंथन से प्राप्त हुआ था जिसे उन्होंने महाभारत के युद्ध में बजाया था

भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र और सौंदर्य
भगवान श्रीकृष्ण को पीतांबर यानी पीले वस्त्र पहनना प्रिय था , उनके सिर पर मोरपंख सुशोभित रहता था, जो उनकी शोभा को और बढ़ाता था
कृष्ण बांसुरी वादन में निपुण थे, जिसकी धुन से गोपियाँ मोहित होती थीं।
वे श्यामवर्ण गहरे नील रंग के थे, जिससे उन्हें "श्यामसुंदर" भी कहा जाता है। श्री कृष्ण कन्हैया , कान्हा , देवकीनंदन , नटखट ,माखनचोर के नाम से भी जाना जाता हैं |
भगवद गीता का उपदेश – भगवान श्रीकृष्ण की अमर वाणी
गीता का प्रसंग
महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन युद्धभूमि में अपने सगे संबंधियों, गुरुओं और मित्रों को देखकर मानसिक द्वंद्व में आ जाते हैं। वह युद्ध करने से पीछे हटते हैं। तभी भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बनकर कर्म, धर्म, आत्मा और मोक्ष के रहस्यों का उपदेश देते हैं – जिसे हम भगवद गीता कहते हैं। यह संवाद कुरुक्षेत्र की भूमि पर हुआ था और गीता के 700 श्लोक इस संवाद का सार हैं।
गीता के प्रमुख विषय
कर्मयोग – निष्काम भाव से कर्म करना चाहिए, फल की चिंता किए बिना।
ज्ञानयोग – आत्मा, शरीर और ब्रह्म का विवेकपूर्ण ज्ञान प्राप्त करना।
भक्तियोग – प्रभु की भक्ति में लीन होकर मोक्ष प्राप्त करना।
संन्यासयोग – मोह और माया का त्याग कर आत्मा की शुद्धि।
धर्म – अपने कर्तव्यों का पालन, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।
आत्मा अमर है – मृत्यु केवल शरीर की होती है, आत्मा कभी नहीं मरती।
गीता का वैश्विक प्रभाव
स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, अर्ल नाइटिंगेल, ओपरा विनफ्रे जैसे महान व्यक्तियों ने भगवद गीता से प्रेरणा ली है। यह पुस्तक केवल हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए जीवन का मार्गदर्शन है। गीता संयुक्त राष्ट्र में भी "शाश्वत ज्ञान ग्रंथ" के रूप में प्रस्तुत की जा चुकी है।