माँ लक्ष्मी – धन, समृद्धि और शुभता की देवी
🕉️ माँ लक्ष्मी कौन हैं?
माँ लक्ष्मी सनातन धर्म की धन, ऐश्वर्य, सौंदर्य, और सुख-शांति की देवी मानी जाती हैं। वे केवल भौतिक धन ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति, सुख और संतुलन का भी प्रतीक हैं। उनका नाम ‘लक्ष्मी’ ‘लक्ष्य’ शब्द से उत्पन्न हुआ है, जो जीवन में लक्ष्य की ओर संकेत करता है।


समुद्र मंथन से क्यों प्रकट हुईं माँ लक्ष्मी?
जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ तो उसमें 14 रत्न निकले। उसी मंथन से माँ लक्ष्मी का प्राकट्य “हुई”
देवताओं को पूर्व में शाप मिला था और उनका ऐश्वर्य समाप्त हो गया था। तभी भगवान विष्णु की प्रेरणा से समुंदर मंथन किया गया।
माँ लक्ष्मी, जो पहले से ही समुद्र की पुत्री थीं, शंख, पद्म, कमल, हाथी और कलश के साथ प्रकट हुईं, और उन्होंने अपने पति के रूप में भगवान विष्णु को चुना, क्योंकि वे ही सृष्टि के पालनकर्ता और धर्म के रक्षक हैं।
माँ लक्ष्मी के पति कौन हैं?

माँ लक्ष्मी के पति भगवान विष्णु हैं।
वे जब भी धरती पर अवतार लेते हैं (जैसे राम या कृष्ण), माँ लक्ष्मी भी सीता और रुक्मिणी के रूप में साथ जन्म लेती हैं।
इसलिए लक्ष्मी-विष्णु को अविभाज्य जोड़ी माना जाता है – एक समृद्धि देते हैं और दूसरे उसे सुरक्षित रखते हैं।
आदि लक्ष्मी – “मूल लक्ष्मी”

यह लक्ष्मी का मूल रूप है।ये आध्यात्मिक समृद्धि और शांत चित्त प्रदान करती हैं।ध्यान: भगवती के प्रथम रूप में इनकी उपासना की जाती है।
धन लक्ष्मी – “धन-संपत्ति की देवी”

यह स्वरूप सोना, चांदी, धन-संपत्ति, धातुओं और ऐश्वर्य से जुड़ा है।व्यापारी और धन संबंधी कार्य करने वाले इन्हें पूजते हैं।
विद्या लक्ष्मी – “ज्ञान और शिक्षा की देवी”

ये विद्या, बुद्धि, विवेक और कलाओं की देवी हैं।विद्यार्थियों और शिक्षकों द्वारा पूजा की जाती है।