dhaarmikdev.com

महादेव कौन हैं

महादेव, जिन्हें हम भगवान शिव के नाम से जानते हैं, वे हिंदू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं। शिव को अनेकों नाम से भी जाना जाता हैं जैसे महादेव , महाकाल , भोलेनाथ , शंकर आदियोगी , और रूद्र, आदि |

महादेव का निवास – कैलाश पर्वत

भगवान शिव का निवास स्थान है कैलाश पर्वत, जिसे “शिवलोक” भी कहा जाता है।
यह पर्वत हिमालय की श्रेणियों में आता है और इसे ध्यान, योग और शांति का सबसे अच्छा स्थान माना जाता हैं |  

भगवान शिव के वस्त्र और आभूषण

भगवान शिव का रूप अत्यंत सरल, प्राकृतिक, और वैराग्यपूर्ण होता है। उनके वस्त्र और आभूषण भी गूढ़ प्रतीकात्मकता रखते हैं:

महादेव के पुत्र और पुत्रियाँ कौन हैं?

पुत्र: महादेव के पुत्र की बात करे तो उनके 2 पुत्र थे जिन्हे हम सभी कार्तिकेय और गणेश जी के नाम से जानते हैं |
कार्तिकेय महादेव और माता पार्वती के सबसे बड़े पुत्र थे जिनको युद्ध विजाय में सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं | उनको हिंदू धर्म में युद्ध के देवता और देवताओं के सेनापति के रूप में जाना जाता हैं | कथाओं के अनुसार उनका जन्म असुर तारकासुर के बढ़ते आतंक को ख़त्म करने के लिए हुआ था , जो तीनों लोकों में अत्याचार कर रहा था. उनके जन्म होते ही कार्तिकेयजी ने तारकासुर का वध किया और उसके प्रकोप को ख़त्म कर दिया उन्हें मुरुगन, सुब्रह्मण्यम और स्कंद जैसे नामों से भी जाना जाता है| 

पुत्री:
हालाँकि कुछ ग्रंथों में महादेव की पुत्रियों का उल्लेख स्पष्ट नहीं है, परन्तु कुछ लोक मान्यताओं में:

अशोक सुंदरी – पार्वती से उत्पन्न, उनका उल्लेख पद्मपुराण में मिलता है।

ज्योति (कुछ क्षेत्रों में देवी मनसा को भी शिव की पुत्री माना गया है)।

 

महादेव की पहली पत्नी कौन थीं?

महादेव की पहली पत्नी देवी सती थी जो कि प्रजापति दक्ष की पुत्री थी, जिनकी माता का नाम प्रसूति था
एक बार जब प्रजापति दक्ष के यहां पर हो रहे यज्ञ में माता सती और महादेव को ना बुलाने पर माता सती क्रोधित होकर उनके पिता राजा प्रजापति दक्ष के यहां पहुंची और उनसे उन्हें और उनके पति महादेव को ना बुलाने का प्रश्न पूछा जिसके उपरांत में प्रजापति दक्ष यानी उनके पिता ने महादेव का अपमान किया जिससे क्रोधित होकर और अपमान ना सहकर माता सती ने अपने प्राण को वहां चल रहे यज्ञ में त्याग दिए थे

महादेव की आध्यात्मिक और द्वितीय पत्नी माता पार्वती को ही माना जाता है उनका जन्म पर्वत राज हिमावन के यहां पर और मैना देवी की कोख से हुआ था | माता पार्वती को माता सती का ही रूप माना जाता है और उन्होंने माता पार्वती के रूप में जन्म लेने के लिए 108 जन्म लिए थे |
माता पार्वती जब हिमालय राज के यहां पैदा हुई थी तभी से वो महादेव की भक्ति मैं लीन हो गई थी उनकी तपस्या को देखकर महादेव अंततः प्रसन्न हुए थे जिसके बाद महादेव अपने पुरी भक्तों की टोली के साथ महाराज हिमालय के यहां पर उनकी पुत्री माता पार्वती से विवाह करने पहुंचे और अंत में माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार

महादेव के प्रमुख नाम:

भगवान शिव के 1008 नाम बताए गए हैं। कुछ प्रमुख नाम:

महादेव

शंकर

भोलेनाथ

नीलकंठ

रूद्र

त्रिपुरान्तक

विषेश्वर

महेश

त्रिलोचन

महादेव को चढ़ाई जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ – विस्तृत विवरण

बेलपत्र (बिल्वपत्र) – सर्वप्रिय

बेलपत्र भगवान शिव को सबसे प्रिय पत्तों में से है। इसकी तीन पत्तियाँ त्रिनेत्र, त्रिलोक और त्रिगुणों (सत्त्व, रज, तम) का प्रतीक मानी जाती हैं। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है और मनोकामना पूर्ण होती है। मान्यता: यदि बेलपत्र एक बार भी चढ़ा दिया जाए, तो वह कई जन्मों के पापों का नाश कर सकता है।

धतूरा और आक (अकौआ) – विष के प्रतीक

ये पौधे विषैले माने जाते हैं, लेकिन भगवान शिव ने स्वयं विषपान किया था (समुद्र मंथन के समय) और वे नीलकंठ कहलाए। इसलिए ये विष के प्रतीक धतूरा और आक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। इन्हें चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलते हैं।

गंगाजल – शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक

गंगा देवी शिवजी की जटाओं में विराजती हैं। गंगाजल अत्यंत पवित्र माना जाता है और शिवलिंग पर चढ़ाने से मानसिक और आत्मिक शुद्धि होती है। यह पापनाशिनी और मोक्षदायिनी भी मानी जाती है।

कच्चा दूध – वात्सल्य और समर्पण का प्रतीक

कच्चा दूध शिव को स्नान कराने के लिए उपयोग किया जाता है।यह मन की शुद्धता, भक्ति, और निर्मल प्रेम का प्रतीक है।इससे मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

पंचामृत (शहद, दही, घी, दूध और शक्कर)

पंचामृत शिवलिंग अभिषेक का एक प्रमुख भाग है।ये पांच तत्व जीवन की पंचतत्त्वीय संरचना का प्रतिनिधित्व करते हैं।इससे शिवजी को आनंदित किया जाता है और शरीर, मन व आत्मा की शुद्धि होती है।